रविवार का दिन था। विद्यालय में छुट्टी थी। बच्चे अपने घरों में बैठे-बैठे तंग आ गए थे। गृहकार्य भी हो गया था। वे सभी मैदान में आ गए। बच्चों ने छुक-छुक गाड़ी का खेल खेलने का निश्चय किया वर्ष उनमें सबसे बड़ा ( था। उसने कहा, “मैं एक से बीस तक सबको नाम दूँगा। सभी को क्रमानुसार (डिब्बे बनकर इंजन के पीछे जुड़ना है।” उसने निम्नलिखित प्रकार से नाम दिए।
एक चैत्र, आठ-कार्तिक, पाँच श्रावण, दो वैशाख, सात आश्विन, चार-आषाढ़, अठारह शनिवार, छह-भाद्रपद, दस पौष, पंद्रह-बुधवार, सत्रह शुक्रवार, नौ अग्रहायण, बारह फाल्गुन, तीन ज्येष्ठ, सोलह-गुरुवार, चौदह मंगलवार, ग्यारह-माघ, तेरह सोमवार, उन्नीस रविवार और वर्ष स्वयं बीस बन गया। वह इंजन बना। सभी बच्चे उलटे क्रम से अपना क्रमांक) ) और नाम बोलते हुए इंजन के पीछे जुड़ते गए। इस तरह शुरू हो गया; छुक छुक गाड़ी का खेल। तुम सब भी छुक-छुक गाड़ी का खेल खेलो। यह खेल गरमी, वर्षा, सरदी हर मौसम में खेल सकते हो।