११. निर्माणों के पावन युग में

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

 स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!

 माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है,

 किंतु डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है,

 जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें !!

 निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

 स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!

 शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,

 शिक्षा क्‍या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है,

 कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें !!

 निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

 स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!

 आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,

 सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,

 भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !!

 निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !

 स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!

– अटल बिहारी वाजपेयी