निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !
स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!
माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है,
किंतु डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है,
जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें !!
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !
स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!
शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है,
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है,
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलें !!
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !
स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!
आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं है,
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नहीं है,
भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !!
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !
स्वार्थ साधना की आँधी मंे वसुधा का कल्याण न भूलें !!
– अटल बिहारी वाजपेयी