होली का त्याेहार नजदीक था । मुहल्लेके बच्चे इस बार त्योहार को नए तरीके से मनाने के लिए इकट्ठे हुए । किसी ने कहा, ‘इस बार हम डीजे के साथ थिरकते हुए होली मनाऍंगे ।’ कोई बोली, ‘इस बार हम रसायनवाले रंगांे का त्याग करेंगे ।’ सभी की बातें सुनने के बाद शालिनी बोली, ‘‘मैं सोचती हॅूं, इस बार हम कोई अच्छा काम करते हुए होली मनाए ।’’
‘‘वह कैसे?’’ सबने पूछा । शालिनी ने कहा, ‘‘इस बार की होली का त्योहार शहर के वृद्धाश्रम में मनाऍं तो कैसा रहेगा ? वहॉं सभी बुजुर्गअपने बुढ़ापे में छोटी-छोटी खुशियॉं तलाशने की कोशिश में रहते हैं। उनके अपने वहॉं उनको बेसहारा छोड़कर चले गए होते हैं, जो मुझे बड़ा ही दुखदायी लगा । कितना अच्छा होगा कि होली का त्योहार हम उनके साथ मनाऍं । उन्हें इससे ढेर सारी खुशियॉं मिलेंगी और इस त्योहार में वे अपनों की कमी भी महसूस नहीं करेंगे । हमंे भी उनसे इस दौरान बहुत सारी अच्छी बातें सीखने को मिलेंगी।’’ शालिनी की बात का सभी ने समर्थन किया ।
बच्चेइस बार की होली के लिए बहुत उत्सुक दिख रहे थे । उन्होंने तैयारियॉं कर ली थीं । इसके लिए उन्होंने वृद्धाश्रम से अनुमति भी ले ली थी । होली का दिन आ गया । बच्चेरंगों के साथ वृद्धाश्रम पहँुचे । वृद्धों को नमस्कार किया आैर सबक हाथ में रंग की एक-एक थैली पकड़ा दी । थैलियॉं हाथ में आते ही वृद्धों में जैसे एक नई स्फूर्तिआ गई । वे इस मौके का कई दिनों से इंतजार कर रहे थे। उन्होंने ‘होली है…’ के शोर के साथ उनपर रंगों की बरसात की । आज जाने कितने वर्षों के बाद इस आश्रम मंे खुशी का माहौल देखने को मिल रहा था। बुजुर्गआज सचमुच ही अपने सारे दुख भूल गए थे ।
रंगांे का यह खेल काफी देर तक चलता रहा । जब सारे थक गए तो वे वृद्धाश्रम के छोटे-से पार्क में बैठ गए। थोड़ी देर सुस्ताने के उपरांत सबने भोजन किया। भोजन के बाद बुजुर्गों ने सभी बच्चों को अपनी जिंदगी के हँसी-मजाक के किस्सेसुनाए और उनका खूब मनोरंजन किया । उन्होंने कहा, ‘‘इस अंदाज की होली सदा याद रहेगी ।’’ बच्चोंने भी बुजुर्गांे को गीत, कविता के साथ नृत्य-गान करके खूब आनंदित किया। आज वृद्धाश्रम का माहौल ऐसा था, जैसा आज तक यहॉं कभी नहीं देखा गया । बचपन और बुढ़ापा आज एक मंच पर बैठकर खूब मस्ती कर रहे थे।
एक बुजुर्गने कहा, ‘‘बच्चों ने आज हमें खुशी के वे पल दिए हैं जो हमारे अपनांे ने हमसे कब के छीन लिए थे । ये बच्चेसमझदार और अच्छी सोच रखने वाले इनसानहैं । बच्चों में यह लौ जलती रहनी चाहिए। यह अब आप लोगों की जिम्मेदारी है । यही वह लौ है, जो आने वाले वक्त में ऐसी संस्कारवान पीढ़ी का निर्माण करेगी जो इन वृद्धाश्रमों को भरने से रोक पाएगी और बुजुर्गअपनी अंतिम सॉंझ को अपनों के साथ इसी तरह से हँसी-खुशी गुजार पाएँगे ।’’
बुजुर्ग की बातों को सभी बच्चों ने गॉंठ बॉंध लिया। उन्होंने मन-ही-मन अपने आप से ऐसे समाज के निर्माण का वादा कर लिया था जहॉं बुजुर्गों के साथ पूरा न्याय हो सकेगा और वे अपनी जिंदगी के आखिरी दिन अपनांे के साथ हँसी-खुशी बिता सकेंगे । शाम होने को थी । अब बच्चों ने घर वापसी के लिए बुजुर्गों से आज्ञा मॉंगी । बुजुर्गांे ने सोचा न था कि खुशी के ये पल इतनी जल्दी बीत जाऍंगे लेकिन समय काफी हो चुका था । वे अब उनको ज्यादा समय तक नहीं रोक सकते थे । जाने से पहले बुजुर्गों ने सब बच्चों को कॉपी और पेन भेंट किए । बच्चे फूले न समाए ।
बच्चेवृद्धाश्रम के गेट से बाहर निकल रहे थे । उन्हें जाते देख बुजुर्गांे की आँखें भरती जा रही थीं। वे इननन्हे फरिश्तों का तहे दिल से शुक्रिया अदा कर रहे थे । गैर होते हुए भी उन्हें अपनों-सा प्यार, ढेर सारी खुशियाँ दीं । बच्चेमस्ती में नाचते, गाते जब अपनी बस्ती में पहुँच े तो सभी मुहल्लेवासियों ने शालिनी और उसकी टीम का तालियों के साथ जोरदार स्वागत किया । वे अपने बच्चों द्वारा किए गए इस नेक कार्य पर गर्व महसूस कर रहे थे । सचमचु, यह एक नए प्रकार की होली थी, जो एक सकारात्मक सोच के साथ संपन्न हुई।