१.७ करना है निर्माण

करना है निर्माण हमें नव भारत का निर्माण
हमें हमारे देश की जग में बढ़ानी होगी शान ।
करना है निर्माण…।।
यही हमारी सब धरती हो खेतों में हरियाली
फूल-फलों से झूम रही हो बन-बन, डाली-डाली
नदी-नहर-सरवर-बरखा के जल से बरसे धान ।
करना है निर्माण…।।

हिमगिरि के ऊँचे शिखरों पे फूल चढ़ाने जाऍं
रत्नाकर के अतुल नीयत नित खोज के रत्नों पाऍं
गाऍं बन कुंजों की मनहर सुंदरता के गान ।
करना है निर्माण…।।
कोई न भेद रहे आपस मंे हम सब भाई-भाई
भारत की सब संतानों में सच्ची प्रेम भलाई
सत्य-अहिंसा के प्रण से पत्थर में प्रकटे प्राण…।।
करना है निर्माण…।।