सबको गले लगाते चलना,
स्नेह नगर से जब भी गुजरना ।
अनगिन बँूदों में कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना ।
बरसों याद रखें ये लहरें
सागर से यँू पार उतरना ।
फूलों का अंदाज सिमटना,
खुशबू का अंदाज बिखरना ।।
गिरना भी है बहना भी है
जीवन भी है कैसा झरना
अपनी मंजिल ध्यान में रखकर
दुनिया की राहों से गुजरना ।
पर्वत,मिट्टी, पेड़ ज्यों रहते
जग में सबसे हिलमिल रहना