१.२ एक किरन

रेशम जैसी हँसती-खिलती,
नभ से आई एक किरन ।
आँचल भरकर मीठी-मीठी,
खुशियॉं लाई एक किरन ।

लाल-लाल थाली-सा सूरज,
उठकर आया पूरब में ।
फिर सोने के तारों जैसी,
नभ में छाई एक किरन ।

पड़ी ओस की थीं कुछ बूँदें,
झिलमिल-झिलमिल पत्तों पर ।
उनमें जाकर, दीया जलाकर,
ज्यों मुसकाई एक किरन ।

एक किरन सेबदल गया जग,
चिड़ियॉंगाती गीत चलीं ।
हवा चली, हिल उठेपेड़ सब,
सबको भाई एक किरन ।

सूरज अाया, दिन मुसकाया,
जागी दुनिया, सुबह हुई ।
नया-नया मन, ताजा जीवन,
सब कुछ लाई एक किरन