२. परोपकार

बहुत पहले की बात है । एक गाँव में फूलों की क्‍यारियाँ चारों तरफ सुंगध फैला रही थीं । फूलों से मधु इकट्‌ठा करने के लिए मधुमक्‍खियाँ फूलों पर मँड़रा रही थीं । एक मधुमक्‍खी गुलाब के फूल पर बैठी उसका रस चूस रही थी। तभी एक बर्र उड़ती हुई वहाँ आ पहुँची । बर्र को अपने रूप-रंग पर बड़ा घमंड था । वह मधुमक्‍खी को देखकर जल-भुन गई । बर्र ने मधुमक्‍खी से कहा, ‘‘हम दोनों में बहुत समानता है । हम दोनों के पंख हैं हम दोनों उड़ सकती हैं । हम दाेनों फूलों का रस चूसती हैं । हम दोनों डंक भी मारती हैं । फिर क्‍या कारण है कि मनुष्‍य तुमको पालते और मुझे दूर भगाते हैं । वैसे मैं तुमसे अधिक सुंदर भी हूँ ।’’ मुझे बताओ कि मनुष्‍य मेरे साथ ऐसा क्‍यों करते हैं ?

मधुमक्‍खी ने उत्‍तर दिया, ‘‘यह सच है बहन ! तुम रंग-बिरंगी हो, उड़ती भी हो परंतु फिर भी तुम्‍हारा आदर नहीं होता, इसका कारण यहहै कि कोई भी प्राणी सुंदरता के कारण नहीं, अपने अच्छे गुणों के कारण आदर पाता है । मनुष्‍य उन प्राणियों का ही आदर करते हैं जाे परोपकारी होते हैं, दूसरों को दुख नहीं पहुँचाते हैं । तुम सुंदर हो, परंतु मनुष्‍य को केवल कष्‍ट देती हो । तुम उन्हें डंक मारती हो । तुम्‍हारे डंक मारने से सूजन आ जाती है । बहुत दर्दहोता है । मैं उन्हें मीठा शहद देती हूँ । मैं उनके काम आती हूँ । यही कारण है कि वे मुझे पालते हैं और तुम्‍हें दूर भगाते हैं ।’’