९. मोती जैसे दाँत

अथर्व के जन्मदिन का निमंत्रण पाकर बैंगनी परी अपने देश से आई थी। परी ने अथर्व को ‘जियो हजारों साल’ कहा और उसे परी देश के बैंगनी रंग के खूब सारे चॉकलेट दिए । “धन्यवाद परी !” अथर्व ने कहा परी मुस्कुराकर बोली, “मैं जानती हूँ, सारे बच्चों की पसंद चॉकलेट है। हमारे यहाँ तो चॉकलेटों की खेती और शीत पेय के झरने हैं।”

अथर्व ने परी से पूछा, “बैंगनी परी ! क्या आप मुझे अपने साथ परी देश दिखाने ले चलेंगी ?” “अरे क्यों नहीं, जरूर ले चलूंगी, ” परी ने कहा। बैंगनी परी अथर्व को लेकर परी देश के लिए उड़ चली। परी देश देखकर अथर्व बहुत खुश हुआ ।

उसने देखा कि परी देश के बच्चे झरने के पास जाकर शीत पेय पीते हैं और खेतों से चॉकलेट तोड़कर खाते हैं। यह देखकर अथर्व खुशी के मारे खिल खिलाकर हँस पड़ा वह कुछ बच्चों के पास गया और उनसे हाथ मिलाकर बोला, “दोस्तो मैं अथर्व हूँ पृथ्वी लोक से बैंगनी परी के साथ आया हूँ।” ‘स्वागत है मित्र’ कहकर वे बच्चे भी हँसे पर

वे अथर्व के दूध से सफेद, मोती से चमकीले दाँत देखकर हैरान रह गए। अथर्व उन बच्चों के काले-पीले, टूटे-फूटे दाँत देखकर चकित था।अचानक उसे डॉक्टर चाचा की बात याद आ गई। उन्होंने कहा था, “अथर्व बेटा शीत पेय मत पीना। चॉकलेट, चुईंगम मत खाना । नहीं तो तुम्हारे दाँत खराब हो जाएंगे ।”

अथर्व बुदबुदाया, ‘इसी कारण इस देश के बच्चों के दांत खराब हैं। यह तो बुरी बात है ।” तभी उसे लगा; कोई उसे झंझोड़कर जगा रहा है। आँखें खोलीं तो देखा, माँ उसे जगा रही थीं और कह रही थीं, “उठो बेटा अथर्व आज विद्यालय नहीं जाना है क्या ?” अथर्व माँ के मोती जैसे चमकते दाँत देख रहा था