4. वार्षिकोत्सव

प्रिय मित्र संजय, नमस्कार ।

नागपुर दि. ७ जनवरी, २०१७

तुम्हारा पत्र मिला । तुम्हारे विद्यालय में संपन्न हुए वार्षिकोत्सव का वर्णन पढ़कर बहुत आनंद आया । दो दिन पूर्वहमारे विद्यालय में भी वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ । इस समारोह के अध्यक्ष एक भूतपूर्व सैनिक थे । मुख्य अतिथि के रूप में महापौर पधारी थीं ।

 इस अवसर पर अनेक रोचक कार्यक्रम संपन्न हुए । सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए । इनके द्वारा भारत के सभी प्रदेशों की सांस्कृतिक झॉंकियॉं प्रस्तुत की गईं । विद्यार्थियों की ‘विविध वेशभूषा’ ने दर्शकों की वाह-वाही लूटी । विभिन्न खेलों की स्पर्धाऍं भी संपन्न हुईं ।

इस अवसर पर वर्षभर की विविध प्रतियोगिताओं एवं उपक्रमों में विजयी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया । इन विद्यार्थियों के मार्गदर्शक शिक्षक-शिक्षिकाआें को भी सम्मानित किया गया । वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आकर्षक रंगोली की प्रदर्शनी लगाई गई थी । स्वादिष्ट व्यंजनों की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया था । इनमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । इन सभी की अतिथि महोदया एवं अध्यक्ष जी ने मुक्तकंठ से सराहना की ।

मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं में प्राप्त सफलता पर बधाइयॉं दीं । उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन की कई घटनाएँसुनाईं । मुख्य अतिथि ने बच्चों को बताया कि वे अपने माता-पिता और गुरुजनों की प्रत्‍येक बात ध्यान से सुनें और उनका पालन करें । विद्यालय में सीखी गई बातें उन्हें हमेशा संबल देती रहेंगी । समारोह के अध्यक्ष ने विद्यालय की रचनात्मक गतिविधियों की प्रशंसा की और कहा, ‘‘देश होगा तभी बलवान, जब बलिदान देगा हर नौजवान ।’’ उन्होंने विद्यार्थियों को देश एवं समाज के लिए त्‍याग करने हेतु तत्पर रहने के लिए प्रेरित किया । हिंदी के महत्त्व को बताते हुए समझाया कि इसका प्रयोग अनुवाद, संचार माध्यम, फिल्मों एवं संपर्क भाषा के रूप मंे बढ़ रहा है । आपको हिंदी का अध्ययन करना जरुरी है ।