अँधेरे के इलाके में किरण माँगा नहीं करते
जहाँ हो कंटकों का वन, सुमन माँगा नहीं करते ।
जिसे अधिकार आदर का, झुका लेता स्वयं मस्तक
नमन स्वयमेव मिलते हैं, नमन माँगा नहीं करते ।
परों में शक्ति हो तो नाप लो उपलब्ध नभ सारा
उड़ानाें के लिए पंछी, गगन माँगा नहीं करते ।
जिसे मन-प्राण से चाहा, निमंत्रण के बिना उसके
सपन तो खुद-ब-खुद आते, नयन माँगा नहीं करते ।
जिन्होंने कर लिया स्वीकार, पश्चात्ताप में जलना
सुलगते आप, बाहर से, अगन माँगा नहीं करते ।
*******
जिसकी ऊँची उड़ान होती है,
उसको भारी थकान होती है ।
बोलता कम जो देखता ज्यादा,
आँख उसकी जुबान होती है ।
बस हथेली ही हमारी हमको,
धूप में सायबान होती है ।
एक बहरे को एक गूँगा दे,
जिंदगी वो बयान होती है ।
तीर जाता है दूर तक उसका,
कान तक जो कमान होती है ।
खुशबू देती है, एक शायर की,
जिंदगी धूपदान होती है ।
– चंद्रसेन विराट