8. कदम मिलाकर चलना होगा

बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पाँवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्‍वालाएँ,
निज हाथों से, हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा ।
कदम मिलाकर चलना होगा ।

हास्‍य-रुदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्‍मानों में
उन्नत मस्‍तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा !
कदम मिलाकर चलना होगा ।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कछार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घहार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा ।
कदम मिलाकर चलना होगा ।

सम्‍मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब ?
सुस्‍मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल, समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न माँगते,
पावस बनकर ढलना होगा ।
कदम मिलाकर चलना होगा ।