10th Hindi

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(दूसरी इकाई) ११. समता की ओर

बीत गया हेमंत भ्रात, शिशिर ॠतु आई ! प्रकृति हुई द्युतिहीन, अवनि में कुंझटिका है छाई । पड़ता खूब तुषार पद्मदल तालों में बिलखाते, अन्यायी नृप के दंडों से यथा […]

(दूसरी इकाई) १०. बूढ़ी काकी (पूरक पठन)

बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है । बूढ़ी काकी में जिह्‌वा स्‍वाद के सिवा और कोई चेष्‍टा शेष न थी और न अपने कष्‍टों की ओर आकर्षित करने […]

(दूसरी इकाई) ९. जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ

[अमृतलाल नागर जी से विश्वनाथ प्रसाद तिवारी जी की बातचीत ] तिवारी जी : नागर जी, मैंआपको आपकेलेखन केआरंभ काल की ओर लेचलना चाहता हूँ। जिस समय आपने लिखना शुरू […]

(दूसरी इकाई) ७. महिला आश्रम

प्रिय सरोज, जिस आश्रम की कल्‍पना की है उसके बारे में कुछ ज्‍यादा लिखूँ तो बहन को सोचने में मदद होगी, आश्रम यानी होम (घर) उसकी व्यवस्‍था में या संचालन […]

(दूसरी इकाई) ६. हम उस धरती की संतति है (पूरक पठन)

हम उस धरती के लड़के हैं, जिस धरती की बातें क्‍या कहिए; अजी क्‍या कहिए; हाँ क्‍या कहिए । यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे […]

(दूसरी इकाई) 4. छापा

मेरे घर छापा पड़ा, छोटा नहीं बहुत बड़ा वे आए, घर में घुसे, और बोले-सोना कहाँ है ? मैंने कहा-मेरी आँखों में है, कई रात से नहीं सोया हूँ वे […]

(दूसरी इकाई) ३. श्रम साधना

गुलामी की प्रथा संसार भर में हजारों वर्षों तक चलती रही । उस लंबे अरसे में विद्‌वान तत्‍त्‍ववेत्‍ता और साधु-संतों के रहते हुए भी वह चलती रही। गुलाम लोग खुद […]