१.७ प्यारा देश
गंगा जिसकी अक्षुण्ण धरोहर यमुना-सा निर्मल मन जिसका ऐसा प्यारा देश है किसका ? सबसे पहले सूरज आकर रच जाता सिंदूर सुबह का लाली किरणें चूनर बनतीं भोर करे श्रृंगार […]
गंगा जिसकी अक्षुण्ण धरोहर यमुना-सा निर्मल मन जिसका ऐसा प्यारा देश है किसका ? सबसे पहले सूरज आकर रच जाता सिंदूर सुबह का लाली किरणें चूनर बनतीं भोर करे श्रृंगार […]
रामनाथपुरम में रहते हुए अयादुरै साेलोमन से मेरे संबंध एक गुरु-शिष्य के नाते से अलग हटकर काफी प्रगाढ़ हो गए थे । उनके साथ रहते हुए मैंने यह जाना कि […]
सबको गले लगाते चलना, स्नेह नगर से जब भी गुजरना । अनगिन बँूदों में कुछ को ही आता है फूलों पे ठहरना । बरसों याद रखें ये लहरें सागर से […]
बहुत पहले की बात है । एक दिन राजा कृष्णदेव राय दरबार में बैठे दरबारियों से किसी गंभीर विषय पर बातचीत कर रहे थे। तभी बाहर से किसी की आवाज […]
दृश्य १ (जंगल में लकड़हारा पेड़ काट रहा है । कुल्हाड़ी के वार से आहत हो पेड़ दर्द से कराहता है । ) पेड़ ः लकड़हारे भाई ! मुझे मत […]
होली का त्याेहार नजदीक था । मुहल्लेके बच्चे इस बार त्योहार को नए तरीके से मनाने के लिए इकट्ठे हुए । किसी ने कहा, ‘इस बार हम डीजे के साथ […]
एक दिन फूल से तितलियों ने कहा, कैसे रहते हो खुश तुम हरेक हाल में? फूल बोला कि खुशबू लुटाता हँू मैं, जब कि रहता हूँ कॉंटों के जंजाल में […]
पहचान, समझो और बताओ ः
ुछ खोकर, कुछ पाकर देख । दुनिया नई बसाकर देख । मौसम कदमों पर होगा गैरों को अपनाकर देख । कांॅटे खुलकर हँस देंगे बहलाकर, सहलाकर देख । मैं भी […]
परिश्रम ही पूजा है । पूजा तो पूजा ही होती है । पूजा परमात्मा की होती है । इष्टदेव की होती है । इस पर विचार अलग-अलग हो सकते हैं […]