8. जिंदगी का सफर
सफर में जिंदगी के कितना कुछ सामान रहता है, वो खुशकिस्मत है, जिसका हमसफर ईमान रहता है । सुखी वह है, जमीं से जो जुड़ा इनसान रहता है, नदी चलती […]
सफर में जिंदगी के कितना कुछ सामान रहता है, वो खुशकिस्मत है, जिसका हमसफर ईमान रहता है । सुखी वह है, जमीं से जो जुड़ा इनसान रहता है, नदी चलती […]
सूत्रधार ः सुनो, सज्जनो, सुनो ! एक सम्मेलन होगा । यह सम्मेलन है शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों का । हाथ, पैर, मुँह, नाक, कान का, सम्मेलन बेढंगों का । (शरीर […]
गरमी की छुट्टियाँ शुरू हो गईं, मैं बच्चों के साथ एक रात छत पर बैठा था, सारे बच्चे कहीं बाहर घूमने जाने के लिए उत्साहित थे । कहने लगे-‘अप्पी ! […]
पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे । मैं तो मेरे नारायण की अपहिं हो गइ दासी रे । लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी रे ।। बिष का […]
दोस्तो ! बारह महीने पहले पूर्वी एशिया में भारतीयों के सामने ‘संपूर्ण सैन्य संगठन’ या ‘अधिकतम बलिदान’ का कार्यक्रम पेश किया गया था । आज मैं आपको पिछले साल की […]
यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है, उसके लिए वह गुण अनिवार्यहै जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा […]
बहुत पहले की बात है । एक गाँव में फूलों की क्यारियाँ चारों तरफ सुंगध फैला रही थीं । फूलों से मधु इकट्ठा करने के लिए मधुमक्खियाँ फूलों पर मँड़रा […]
शाल और सागौन वनांे को, पार किया शबरी ने, सुन रक्खा था नाम कभी, पंपासर का शबरी ने । पंपासर में बड़े-बड़े ॠषि-मुनियों के हैं आश्रम ज्ञान-व्यान, तप-आराधन के तीर्थरूप […]
बाधाएँ आती हैं आएँ, घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पाँवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों से, हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा । कदम मिलाकर चलना […]
लगभग पैंतीस साल का एक खान आंॅगन में आकर रुक गया । हमेशा की तरह उसकी आवाज सुनाई दी – ‘‘अम्मा… हींग लोगी?’’ पीठ पर बँधे हुए पीपे को खोलकर […]